हार्ट अटैक से बचने के दस उपाय
दस उपायों को अपनाकर हृदय की बीमारियों को रोका जा सकता है-
1. अपने कोलेस्ट्रोल स्तर को 130 एमजी/ डीएल तक रखिए- कोलेस्ट्रोल के मुख्य स्रोत जीव उत्पाद हैं, जिनसे जितना अधिक हो, बचने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आपके यकृत यानी लीवर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल का निर्माण हो रहा हो तब आपको कोलेस्ट्रोल घटाने वाली दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है।
2. अपना सारा भोजन बगैर तेल के बनाएं हो सके तो ओलिव आयल ( जेतून का तेल) का पर्योग करें लेकिन मसाले का प्रयोग बंद नहीं करें- मसाले हमें भोजन का स्वाद देते हैं न कि तेल का। हमारे 'जीरो ऑयल' भोजन निर्माण विधि का प्रयोग करें और हजारों हजार जीरो ऑयल भोजन स्वाद के साथ समझौता किए बगैर तैयार करें। तेल ट्रिगलिराइड्स होते हैं और रक्त स्तर 130 एमजी/ डीएल के नीचे रखा जाना चाहिए।
3. अपने तनावों को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करें- इससे आपको हृदय रोग को रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि मनोवैज्ञानिक तनाव हृदय की बीमारियों की मुख्य वजह है। इससे आपको बेहतर जीवन स्तर बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।
4. हमेशा ही रक्त दबाव को 120/80 एमएमएचजी के आसपास रखें- बढ़ा हुआ रक्त दबाव विशेष रूप से 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लोकेज (अवरोध) को दुगनी रफ्तार से बढ़ाएगा। तनाव में कमी, ध्यान, नमक में कमी तथा यहाँ तक कि हल्की दवाएँ लेकर भी रक्त दबाव को कम करना चाहिए।
5. अपने वजन को सामान्य रखें- आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से नीचे रहना चाहिए। इसकी गणना आप अपने किलोग्राम वजन को मीटर में अपने कद के स्क्वेयर के साथ घटाकर कर सकते हैं। तेल नहीं खाकर एवं निम्न रेशे वाले अनाजों तथा उच्च किस्म के सलादों के सेवन द्वारा आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।
6.नियमित रूप से आधे घंटे तक टहलना जरूरी- टहलने की रफ्तार इतनी होनी चाहिए, जिससे सीने में दर्द नहीं हो और हाँफें भी नहीं। यह आपके अच्छे कोलेस्ट्रोल यानी एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है।
7. 15 मिनट तक ध्यान और हल्के योग व्यायाम रोज करें- यह आपके तनाव तथा रक्त दबाव को कम करेगा। आपको सक्रिय रखेगा और आपके हृदय रोग को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा।
8. भोजन में लहसुन का पर्योग करें लहसुन शरीर में अच्छे कैलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स- भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें । ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
9. अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो शकर को नियंत्रित रखें- आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए। व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए मधुमेह को खतरनाक न बनने दें। अगर आवश्यक हो तो हल्की दवाओं के सेवन से फायदा पहुँच सकता है।
10. हार्ट अटैक से पूरी तरह बचाव- हार्ट अटैक से बचने का सबसे आसान संदेश है और हार्ट में अधिक रुकावटें न होने दें। यदि आप इन्हें घटा सकते हैं, तो हार्ट अटैक कभी नहीं होगा।
कार्य क्षमता बढ़ाने व कोलॅस्ट्रोल घटाने का अचूक आयुर्वेदिक नुस्खा
अपनी कार्य क्षमता बढ़ा कर सफल होने, स्फूर्ति वान होने व चर्बी घटा कर तन्दरूस्त होने का यह आजमाया हुआ नुस्खा है। अनेक लोगों ने इसका प्रयोग कर सफलता पाई है। नुस्खा निम्न प्रकार है:
मिश्रण: 50 ग्राम मेथी$ 20 ग्राम अजवाइन$10 ग्राम काली जीरीबनाने की विधिः- मेथी, अजवाइन तथा काली जीरी को इस मात्रा में खरीद कर साफ कर लें। तत्पश्चात् प्रत्येक वस्तु को धीमी आंच में तवे के उपर हल्का सेकें। सेकने के बाद प्रत्येक को मिक्सर-ग्राइंडर मंे पीसकर पाउडर बनालें। तीनों के पाउडर को मिला कर आपकी अमूल्य दवाई तैयार है।
दवाई लेने की विधिः- तैयार दवाई को रात्रि को खाना खाने के बाद सोते समय 1 चम्मच गर्म पानी के साथ लेवें। याद रखें इसे गर्म पानी के साथ ही लेना है। इस दवाई को रोज लेने से शरीर के किसी भी कोने मंे अनावश्यक चर्बी/ गंदा मैल मल मुत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है, तथा शरीर सुन्दर स्वरूपमान बन जाता है। मरीज को दवाई 30 दिन से 90 दिन तक लेनी होगी।
लाभः- इस दवाई को लेने से न केवल शरीर मंे अनावश्यक चर्बी दूर हो जाती है बल्किः-
शरीर में रक्त का परिसंचरण तीव्र होता है। ह्नदय रोग से बचाव होता है तथा कोलेस्ट्रोल घटता है।
पुरानी कब्जी से होेने वाले रोग दूर होते है। पाचन शक्ति बढ़ती है।
गठिया वादी हमेशा के लिए समाप्त होती है।
दांत मजबूत बनते है। हडिंया मजबूत होगी।
आॅख का तेज बढ़ता है कानों से सम्बन्धित रोग व बहरापन दूर होता है।
शरीर में अनावश्यक कफ नहीं बनता है।
कार्य क्षमता बढ़ती है, शरीर स्फूर्तिवान बनता है। घोड़े के समान तीव्र चाल बनती है।
चर्म रोग दूर होते है, शरीर की त्वचा की सलवटें दूर होती है, टमाटर जैसी लालिमा लिये शरीर क्रांति-ओज मय बनता है।
स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा कदम आयु भी बढ़ती है, यौवन चिरकाल तक बना रहता है।
पहले ली गई एलोपेथिक दवाईयां के साइड इफेक्ट को कम करती है।
इस दवा को लेने से शुगर (डायबिटिज) नियंत्रित रहती है।
बालों की वृद्धि तेजी से होती है।
शरीर सुडौल, रोग मुक्त बनता है।
योग करने से दवाई का जल्दी लाभ होता है।
परहेजः- 1. इस दवाई को लेने के बाद रात्रि मंे कोई दूसरी खाद्य-सामग्री नहीं खाएं।
2. यदि कोई व्यक्ति धुम्रपान करता है, तम्बाकू-गुटखा खाता या मांसाहार करता है तो उसे यह चीजे छोड़ने पर ही दवा फायदा पहुचाएंगी।
3. शाम का भोजन करने के कम-से-कम दो घण्टे बाद दवाई लें
आस्था आयुर्वेद , असंध (हरियाणा)| पुराने रोग एवं बन्ध्यत्व निवारण केन्द्र |
Monday, October 10, 2011
अलसी, हदय रोगो केलिये अपुर्व । Linum usitatissimum
अलसी हमारे रक्तचाप को संतुलित रखती है। अलसी हमारे रक्त में अच्छेकॉलेस्ट्रॉल (HDL-Cholesterol) की मात्रा को बढ़ाती है औरट्राइग्लीसराइड्स व खराब कॉलेस्ट्रॉल (LDL-Cholesterol) की मात्रा को कमकरती है। अलसी दिल की धमनियों में खून के थक्के बनने से रोकती है ओरहृदयाघात व स्ट्रोक जैसी बीमारियों से बचाव करती है। अलसी सेवन करने वालोंको दिल की बीमारियों के कारण अकस्मात मृत्यु नहीं होती। हृदय की गति कोनियंत्रित रखती है और वेन्ट्रीकुलर एरिद्मिया से होने वाली मृत्युदर कोबहुत कम करती है।अलसी में लगभग 18-20 प्रतिशत ओमेगा-3 फैटी एसिड ALA होते हैं। अलसीओमेगा-3 फैटी एसिड का पृथ्वी पर सबसे बड़ा स्रोत है। हमारे स्वास्थ्य परअलसी के चमत्कारी प्रभावों को भली भांति समझने के लिए हमें ओमेगा-3 वओमेगा-6 फेटी एसिड को विस्तार से समझना होगा। ओमेगा-3 व ओमेगा-6 दोनों हीहमारे शरीर के लिये आवश्यक हैं यानी ये शरीर में नहीं बन सकते, हमेंइन्हें भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है। ओमेगा-3 अलसी के अलावा मछली, अखरोट, चिया आदि में भी मिलते हैं। मछली में DHA और EPA नामक ओमेगा-3 फेटीएसिड होते हैं, ये अलसी में
मौजूद ALA से शरीर में बन जाते हैं। ओमेगा-6 मूंगफली, सोयाबीन, सेफ्लावर, मकई आदि तेलों में प्रचुर मात्रा में होताहै। ओमेगा-3 हमारे शरीर के विभिन्न अंगों विशेष तौर पर मस्तिष्क, स्नायुतंत्र व ऑखों के विकास व उनके सुचारु रुप से संचालन में महत्वपूर्णयोगदान करते हैं। हमारी कोशिकाओं की भित्तियां ओमेगा-3 युक्त फोस्फोलिपिडसे बनती हैं। जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो येभित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैटया ट्रांस फैट से बनती है। और यहीं से हमारे शरीर में उच्च रक्तचाप, मधुमेह प्रकार-2, आर्थ्राइटिस, मोटापा, कैंसर, आदि बीमारियों की शुरुआत होजाती है।
शरीर में ओमेगा-3 की कमी व इन्फ्लेमेशन पैदा करने वाले ओमेगा-6 के ज्यादाहो जाने से प्रोस्टाग्लेन्डिन-ई 2 बनते हैं जो लिम्फोसाइट्स व माक्रोफाजको अपने पास एकत्रित करते हैं व फिर ये साइटोकाइन व कोक्स एंजाइम कानिर्माण करते हैं। और शरीर में इनफ्लेमेशन फैलाते हैं। मैं आपको सरल तरीकेसे समझाता हूं। जिस प्रकार एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए नायक और खलनायकदोनों ही आवश्यक होते हैं। वैसे ही हमारे शरीर के ठीक प्रकार से संचालन केलियेओमेगा-3 व ओमेगा-6 दोनों ही बराबर यानी 1:1 अनुपात में चाहिये। ओमेगा-3 नायक हैं तो ओमेगा-6 खलनायक हैं। ओमेगा-6 की मात्रा बढ़ने से हमारे शरीरमें इन्फ्लेमेशन फैलते है तो ओमेगा-3 इन्फ्लेमेशन दूर करते हैं, मरहमलगाते हैं। ओमेगा-6 हीटर है तो ओमेगा-3 सावन की ठंडी हवा है। ओमेगा-6 हमेंतनाव, सरदर्द, डिप्रेशन का शिकार बनाते हैं तो ओमेगा-3 हमारे मन कोप्रसन्न रखते है, क्रोध भगाते हैं, स्मरण शक्ति व बुद्धिमत्ता बढ़ाते हैं।ओमेगा-6 आयु कम करते हैं। तो ओमेगा-3 आयु बढ़ाते हैं। ओमेगा-6 शरीर मेंरोग पैदा करते हैं तो ओमेगा-3 हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।पिछले कुछ दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-6 की मात्रा बढ़तीजा रही हैं और ओमेगा -3 की कमी होती जा रही है। मल्टीनेशनल कम्पनियों द्वारा बेचे जा रहे फास्ट फूड व जंक फूड ओमेगा-6 से भरपूर होते हैं। बाजारमें उपलब्ध सभी रिफाइंड तेल भी ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। हालही हुई शोध से पता चला है कि हमारे भोजन में ओमेगा-3 बहुत ही कम औरओमेगा-6 प्रचुर मात्रा में होने के कारण ही हम उच्च रक्तचाप, हृदयाघात, स्ट्रोक, डायबिटीज़, मोटापा, गठिया, अवसाद, दमा, कैंसर आदि रोगों का शिकारहो रहे हैं। ओमेगा-3 की यह कमी 30-60 ग्राम अलसी से पूरी कर सकते हैं। येओमेगा-3 ही अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा दिलाते हैं। ।
अलसी में महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व लिगनेन होता है। अलसी लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत हैं। अलसी में लिगनेन अन्य खाद्यान्नों से कई सौ गुनाज्यादा होते हैं। लिगनेन एन्टीबैक्टीरियल, एन्टीवायरल, एन्टी फंगल और कैंसर रोधी है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। लिगनेन कॉलेस्ट्रोल कमकरता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है। लिगनेन सचमुच एक सुपर स्टार पोषक तत्व है। लिगनेन पेड़ पौधों में ईस्ट्रोजन यानी महिला हारमोन के तरह कार्य करता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ईस्ट्रोजन का स्त्राव कम हो जाताहै और महिलाओं को कई परेशानियां जैसे हॉट फ्लेशेज़, ओस्टियोपोरोसिस आदि होती हैं। लिगनेन इन सबमें बहुत राहत देता है। लिगनेन मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं ठीक करता है।
लिगनेन हमें प्रोस्टेट, बच्चेदानी, स्तन, आंत, त्वचा आदि के कैंसर से बचाता हैं। यदि मां के स्तन में दूध नहीं आ रहा हैतो उसे अलसी खिलाने के 24 घंटे के भीतर स्तन में दूध आने लगता है। यदि मां अलसी का सेवन करती है तो उसके दूध में प्रर्याप्त ओमेगा-3 रहता है और बच्चा अधिक बुद्धिमान व स्वस्थ पैदा होता है। एड्स रिसर्च असिस्टेंस इंस्टिट्यूट (ARAI) सन् 2002 से एड्स के रोगियों पर लिगनेन के प्रभावों पर शोध कर रही है और आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं। ARAI के निर्देशक डॉ. डेनियल देव्ज कहते हैं कि जल्दी ही लिगनेन एड्स का सस्ता, सरल और कारगर उपचार साबित होने वाला है|
आभार--- डा. ओ पी वर्मा ।
मौजूद ALA से शरीर में बन जाते हैं। ओमेगा-6 मूंगफली, सोयाबीन, सेफ्लावर, मकई आदि तेलों में प्रचुर मात्रा में होताहै। ओमेगा-3 हमारे शरीर के विभिन्न अंगों विशेष तौर पर मस्तिष्क, स्नायुतंत्र व ऑखों के विकास व उनके सुचारु रुप से संचालन में महत्वपूर्णयोगदान करते हैं। हमारी कोशिकाओं की भित्तियां ओमेगा-3 युक्त फोस्फोलिपिडसे बनती हैं। जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो येभित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैटया ट्रांस फैट से बनती है। और यहीं से हमारे शरीर में उच्च रक्तचाप, मधुमेह प्रकार-2, आर्थ्राइटिस, मोटापा, कैंसर, आदि बीमारियों की शुरुआत होजाती है।
शरीर में ओमेगा-3 की कमी व इन्फ्लेमेशन पैदा करने वाले ओमेगा-6 के ज्यादाहो जाने से प्रोस्टाग्लेन्डिन-ई 2 बनते हैं जो लिम्फोसाइट्स व माक्रोफाजको अपने पास एकत्रित करते हैं व फिर ये साइटोकाइन व कोक्स एंजाइम कानिर्माण करते हैं। और शरीर में इनफ्लेमेशन फैलाते हैं। मैं आपको सरल तरीकेसे समझाता हूं। जिस प्रकार एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए नायक और खलनायकदोनों ही आवश्यक होते हैं। वैसे ही हमारे शरीर के ठीक प्रकार से संचालन केलियेओमेगा-3 व ओमेगा-6 दोनों ही बराबर यानी 1:1 अनुपात में चाहिये। ओमेगा-3 नायक हैं तो ओमेगा-6 खलनायक हैं। ओमेगा-6 की मात्रा बढ़ने से हमारे शरीरमें इन्फ्लेमेशन फैलते है तो ओमेगा-3 इन्फ्लेमेशन दूर करते हैं, मरहमलगाते हैं। ओमेगा-6 हीटर है तो ओमेगा-3 सावन की ठंडी हवा है। ओमेगा-6 हमेंतनाव, सरदर्द, डिप्रेशन का शिकार बनाते हैं तो ओमेगा-3 हमारे मन कोप्रसन्न रखते है, क्रोध भगाते हैं, स्मरण शक्ति व बुद्धिमत्ता बढ़ाते हैं।ओमेगा-6 आयु कम करते हैं। तो ओमेगा-3 आयु बढ़ाते हैं। ओमेगा-6 शरीर मेंरोग पैदा करते हैं तो ओमेगा-3 हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।पिछले कुछ दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-6 की मात्रा बढ़तीजा रही हैं और ओमेगा -3 की कमी होती जा रही है। मल्टीनेशनल कम्पनियों द्वारा बेचे जा रहे फास्ट फूड व जंक फूड ओमेगा-6 से भरपूर होते हैं। बाजारमें उपलब्ध सभी रिफाइंड तेल भी ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। हालही हुई शोध से पता चला है कि हमारे भोजन में ओमेगा-3 बहुत ही कम औरओमेगा-6 प्रचुर मात्रा में होने के कारण ही हम उच्च रक्तचाप, हृदयाघात, स्ट्रोक, डायबिटीज़, मोटापा, गठिया, अवसाद, दमा, कैंसर आदि रोगों का शिकारहो रहे हैं। ओमेगा-3 की यह कमी 30-60 ग्राम अलसी से पूरी कर सकते हैं। येओमेगा-3 ही अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा दिलाते हैं। ।
अलसी में महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व लिगनेन होता है। अलसी लिगनेन का सबसे बड़ा स्रोत हैं। अलसी में लिगनेन अन्य खाद्यान्नों से कई सौ गुनाज्यादा होते हैं। लिगनेन एन्टीबैक्टीरियल, एन्टीवायरल, एन्टी फंगल और कैंसर रोधी है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। लिगनेन कॉलेस्ट्रोल कमकरता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है। लिगनेन सचमुच एक सुपर स्टार पोषक तत्व है। लिगनेन पेड़ पौधों में ईस्ट्रोजन यानी महिला हारमोन के तरह कार्य करता है। रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ईस्ट्रोजन का स्त्राव कम हो जाताहै और महिलाओं को कई परेशानियां जैसे हॉट फ्लेशेज़, ओस्टियोपोरोसिस आदि होती हैं। लिगनेन इन सबमें बहुत राहत देता है। लिगनेन मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं ठीक करता है।
लिगनेन हमें प्रोस्टेट, बच्चेदानी, स्तन, आंत, त्वचा आदि के कैंसर से बचाता हैं। यदि मां के स्तन में दूध नहीं आ रहा हैतो उसे अलसी खिलाने के 24 घंटे के भीतर स्तन में दूध आने लगता है। यदि मां अलसी का सेवन करती है तो उसके दूध में प्रर्याप्त ओमेगा-3 रहता है और बच्चा अधिक बुद्धिमान व स्वस्थ पैदा होता है। एड्स रिसर्च असिस्टेंस इंस्टिट्यूट (ARAI) सन् 2002 से एड्स के रोगियों पर लिगनेन के प्रभावों पर शोध कर रही है और आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं। ARAI के निर्देशक डॉ. डेनियल देव्ज कहते हैं कि जल्दी ही लिगनेन एड्स का सस्ता, सरल और कारगर उपचार साबित होने वाला है|
आभार--- डा. ओ पी वर्मा ।
Monday, October 3, 2011
Datura, Krishna Datura
- The plant is the source
of alkaloid scopolamine which is
used as a pre-anaesthetic in surgery
and childbirth, in ophthalmology
and for the prevention of motion
sickness...... - smoking its 1-2 seeds help in acute asthma .
- its famous classical prepration is kankasava. very much effective.
- I love to use its Ras Kalp.
- also used in vata roga as local application of its taila i.e Mahavishagarbha taila.
- In Rasa kalpa - this is ingredients of Sutesekhar rasa .
- its leaves can be one of the ingredients of patra pinda potali sweda in panchkarma for vata disorder
- people with Hrddrva with in normal conditions we can use sutesekhar rasa with sankhpuspi fanta .
- its oil (obtained from its seeds by Patalayantra) is very much effective in ED for local application .
- taraka vispharaka, madakari, vyavavi , vikashi,
- Patra pinda me vaidya gan apne nidan ke anusar dravyo ka chayan kar sakte hai.koi definate formula ki jarurat hai mai nahi samjhta
- according to Dravya guna vigyan by acharya priyavat sharma, Datura stramonium is Krishna datura.
- Respected Sir and Madam Krishna Dhatur is the main dhatur plant ,expected for medicinal use where ever it is mention to use Dhatur one has to conside rKrisnna dhatur and not the regular dhatura i.e Dhatura strmonium
- datura metal,solanaceae,thorn apple,said to have been indicated in charak sanhita as kanak and in sushrut as unmatt,is also known as God Shiva`s favorite and its leaves and flowers are offered to Shiva . It falls in the category of poisonous but in medication its seeds form an integral part and play important role in many formulations. Very useful in asthma,opthalmic and ear ailments,fever,headache,ar
tritis etc. - Above picture i 've uploaded is the picture of krishnaa datura. its stem is more darker than normal datura plant also its fruits have less or no throns. and more whiter in color exactly as a golf ball.
- see Sanjay ranaji as far as m given to know there r supposed to be two varities the first one the red mere ornamental has its origin elsewhere though thogh found almost everywhere in india but the kind you referred is a rare one and is of medicinal import.
- may i knw how can we use it in acute condition ??
- amitji acute ashtama iske pan ki BIDI banaker pilao sab inhaler bhul jao ge
- shubhas ji krisha dhaturame bhi tin prakar ho ta hai, 1 sada kala phul vala,,,2 phul ke ander phul yani duble phul vala or ,,,3 jeeske pan.. dali phul sahi kale hote hai or iske bijbhi bilkul kale hote hai ,,,,ranaji ye tishari vali jadi hamare sidha vaidh ko jadi hai or bhut bahut kathinae se milati hai jo SWARAN banane ke kam ata hai
- there seems nothing to be in existence as the third one that could lead to producing gold or swarna as u said its an illusion,a myth in olden days the vaidyas used to motivate their students and produce the desired results.however for a long time in india datura has been called kanak that has a literal meaning gold, it is gold but in metophoric sense.
- Dumbel do the result by shodhana , where as datura do by shaman method.
- bawaji kshama kare per aap pryas kare aap ke HINDUSHAN ke kai log AATMA ke piche bhi yahi bat karte hai
- then without wasting a minute`s time lets first demonstrate and embark on a largescale production,by the time we reach the stage where we have achieved the capability to produce,the yellow metal,till then lets do make do with the white one..........
- , in the intial stage of Rasa Shashtra there was a process to make yellow metal from mercury with the help of various herbs . but later it was disappeared . this topic ofcourse related to Rasashastra and Tantra sadhana. all the Bhairva yogi and natha yogies were capable of transforming mercury in to yellow metal.. in fact some of siddha yogi ( baba) still know this process.
- but the knowledge that could transform india into a golden sparrow once again,why,what is the hitch why not together make a concerted effort for a good cause. But i have a firm belief its a myth, an illusion, a mirage and nothing beyond that at the most....what...to.....say.
....just believing in that is not scientific and trying to deceive oneself and all. - .Rasa Shastra even goes back to Rigvedic times, initially there was a method of PLANT ALCHEMY, not metal one ..out of which RISHIS prepared some elxiris and medicines which was a superb method than ASVAS and ARISHTAS having gerater results...during Mahabharata times there were magi priest-vaidyas who used to travel from one place to another practicing this system of method who are said to cured the LEPROSY of SAMBHA, the son of KRISHNA..they later were called Magis by persians who were the priests in IRAN, they spread some of new technique of metals preprations also into EUROPE and MID ASIA and then the CHEMISTRY developed...All was MAGIC like to the GREEKS so the work of MAGIs was called MAGIK and so the word MAGIC came in english later in pre-brythonic times..
- i had short stint with hindi also wherein some learned poet i would like to quote the verse but at the moment, do not remember the name of the learned hindi poet said` kahat dhtura so.n kanak par gahna gharat na jai"
- one thing is clear that in ancient India ; our culture was most developed than today we can see the example of Rasayana shashtra as Ashoka Stambha. 99.9 of pure Iron , but still no rusting in it !!! , same way old architecture of India , kotilaya arthashastra, jyotish , Ayurveda, shringar kala, vastu shastra, etc.... also in ancient India there were abduent gold in our country.
- Aaj bhi DUNIYA me sab se jyaada gold India me hai...just guess kitana bhi garib kyo na ho shyadi ke samay aurate sone ke thode to gehane lete hai..isase ANDAZA nikalo kitana sona hai INDIA me legally !
- bawaji mai aaj meri jindagi ek bat ap ko batata hu ki pure bhart varsh me koe aadmi NON MAGNETIC LOH BHASMA banata he ya nahi . mere pas aaj ek shidha vaidh he jo banata he .mera ye aap ko challenge hai aap ki puri ATF me he koi jo banaker de sake? ye bat nahi batane ki kasam hame hame di gai thi per aap jese mahan vaijyanik ko bata ne ke lia aaj tod di YE MERA CHLLENGE HAI KOI TO AAJ kal BANAKAR DIKHA LO TO HUM JANE
- ranaji jay ayurved kai bat asi hoti jo har kisi ko batae nahi jati per aaj bata raha hu pure bhart me milane vali lohbashme megnetic hi hai ajmalena hat kangan ko aarsi ki jarurt nahi,,mera english poor he, or ye sabhi bate mai achi tarah explain nai kar pata ye meri majburi or guru agya he
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