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Friday, April 11, 2014

दारुहरिद्रा, रसांजन,Berberis aristata

दारु हरिद्रा के आयुर्वेदोक्त गुण और् कर्म 
यह लघु, रुक्ष, तिक्त, कषाय , कटु और वीर्य मे उष्ण होता है !
इसका फ़ल कुछ मधुर रस युक्त होता है !
दार्वी, कंटकटॆरी, पंचपंचा, दारुहल्दी, आदि नामो से इसको जाना जाता है । 
नेत्राभिष्यंद मे दारुहरिद्रा बहुत ही उपयोगी होती है ।
इसके फ़लों को युनानी मे झरिष्क कहते हैं । यह शीतल तथा आमाशय की गरमी को शांत करनेवाले माने जाते हैं ।
उत्तम मात्रा मे दारुहरिद्रा पाली के ज्वर को रोकती है।
दारुहरिद्राके मूल और कांड के नीचे के भाग की पीत रंग की लकडी को उपयोग् मे लेना चहिये ।
दारुहरिद्रा विशेष रुप से स्त्रियों के रोग जैसे की रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर , गर्भाशय की निर्बलता, ट्युबकी सुजन () , एन्डोमेट्रोईसिस्, डी यु बी, गर्भाशयग्र्ंथि, हैम्रोजिक सिस्ट, आदि मे बहुत ही उपयोगी है ।
इसके घन को रसांजन कहते है जिसका उपयोग मुख्य रुप से अर्श यानि बवासीर रोग मे किया जाता है ।
इसके अतिरिक्त यह लीवर के लिये भी बहुत ही अच्छी औषधी है । यह पोर्टलवेन के हाईपरटेंशन को दूर करके शरीर मे घुमने वाली अपान वायु को नियमित करता है ।स्थानिक प्रयोग मे इसका प्रयोग रक्त्जार्श मे प्रक्षालन मे किया जाता है जिसके कारण अर्श के मस्से सिकुड कर समाप्त हो जाते हैं ।
पैतिक योनि व्यापदों मे  दारुहरिद्रा और लोध्र का उपयोग किया जा सकता है ।
जीर्ण ज्वर मे रसांजन को उपयोग ज्वरनाश के लिये एकलद्र्व्य के रुपमे बहुत से वैद्य् करते हैं ।



Monday, June 17, 2013

Mundi, Gorakh mundi गोरख मुंडी । मुंडी बूटी

एक अत्यंत उपयोगी और बहुपर्चालित औशोधी का नाम है गोरखमुंडी। यह रक्तशोधक होते हए भी सिर के दर्द में उपयोगी है खासकर सूर्यावर्त रोग में यह चमत्कारी प्रभाव दिखाती है।
     वात रक्त का तो यह काल है।
जब शारीर में कोई स्रावयुक्त त्वकविकार हो या कुछ क्लेद युक्त विकार हो तो इसकी योजना करनी चाहिए।
मुंडी एक कटु पोष्टिक रसायन है।दिमाग़ की स्मरण शक्ति को बढ़ाते हुए आँखो की रौशनी भी बढाती है।
विभिन्न आगंतुज रोगों में यथा विषाणु एवं कीटाणु जन्य रोगों में इसका प्रयोग करना चाहिए।
प्र्योज्यंग--- फल और पंचांग।
मात्रा  युक्तीपुर्वक ।

Thursday, June 13, 2013

Kantkari, Solanum surrattence/Solanum xanthocarpus, कंटकारी

आयुर्वेद की यह अनोखी औषधी लगभग सारे उत्तर भारत मे हर जगह और् हर मोसम मे मिल जाती है । लगभग सभी निघुंटुओं मे इसका वर्णन मिलता है । आधुनिक द्र्व्य गुण मे इसको कासघ्न वर्ग मे रखा गया है । 
भावप्रकाश मे इसका वर्णन इस प्रकार से आया है ---
कंटकारीसरातिक्ताकटुका दीपनी लघु: ।
रुक्षोष्णापाचनीकासश्वासज्वरकफ़ानिलान् ॥
निहन्तिपीनसंपार्शवपीडाकृमिह्रुदमयान् ।
तस्या: फ़लंकटुरसेपाके च कटुकंभवेत् ॥
शुक्रस्यरेचनंभेदितिक्तंपित्ताग्निकृल्लघु ।
हन्यात् कफ़मरुककंडुकासमेद:कृमिज्वारन् ॥
तद्व्त्प्रोक्ता सिता क्षुद्रा विशेषाद् गर्भकारिणी ।
कंटकारी तिक्त और् कटु रस युक्त दीपन कर्म करने वाली रुक्ष, पाचन करने वाली श्वास, ज्वर, कफ़ वात का हरण करने वाली होती है । 
पूराना नजला, पार्श्वपीड़ा ( निमोनिया) , कृमि, हृदयरोगेहितकर होती है ।
इसके फ़ल कटुरसयुक्त और् शुक्र रेचन होते है यानि की वाजीकरण होते है ।  विशेषकर सफ़ेद फ़ुलो वाली कंटकारी गर्भप्रद होतीहै ।
मै अपनी आयुर्वेदशाला मे इसको निम्नलिखित रोगों मे उपयोग करता हू -
  • बच्चों के गुदाकृमि मे इसके सूखे फ़लो मे सरसो का तैल मिलाकर अग्निपर रखकर धुआं करने से गुदा गत कृमि मर कर बाहर निकल आते है ं ।
  • मैच्युरेशन अरेस्ट के कारण हुई शुक्रणता मे प्रयोग किया जाता है 
  • विभिन्न त्वचारोगों मे अन्य द्र्व्यों के साथ इससे सिद्ध् घृत का प्रयोग किया जाता है ।
  • कैंसररोग खासकर उर्ध्वजत्रुगत कैंसर यानि की गले का कैंसर मे इसका प्रयोग अन्य द्र्व्यों जैसे कि पर्पटक, गोमुत्र, गिलोय, चिरयता आदि से बनाया गया अर्क बहुत ही चम्तकारी असर डालता है ।
  • जीर्णकास मे इसका अवलेह बहुत ही उपयोगी होता है इसके लिये व्याघ्री हरितकी, कंटकारी अवलेह आदि का प्रयोग करता हुं ।
  • अपानवायु जन्य स्त्री रोग के बन्ध्य्त्व मे उपयोग किया जाता है ।
  • जीर्णपीनस रोगों मे इसका अवलेह और इससे सिद्ध् तैल बहुत ही उपयोगी है 
  • हाई ब्लडप्रैशर मे उपयोग किया जाताहै ।
स्रोतोवरोध को दूर करने वाली यह महाऔषधि रोगघ्नता मे चमत्कार  करती है पर यह वैद्य की युक्ति की आपेक्षा करती है ।
उष्णवीर्य होने पर यह कफ़वातशामक होते हुए भी विभिना पित्तविकारों मे भरपूर प्रयोग की जाती है ।
अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें --- Dr. D.P Rana

Thursday, December 29, 2011

Copper Pyrite, स्वर्ण माक्षीक भस्म

स्वर्ण माक्षीक तांबे का खनीज होता है यह ताप्तिज़ नदी के किनारे पर सिथत पर्वतीय खानों से प्राप्त होता है , अत: इसे तापीज्य भी कहते हैं । सोने जैसा रंग होने के कारण इसे स्वर्ण माक्षिक भी कहते हैं । 
स्वर्ण माक्षिक मारण विधि-- शुद्ध माक्षिक लेकर सम्भाग गंधक लेकर निम्बु के रस मे खरल करते हैं टिकिया बना कर सुखा लेते है उसके बात टिकिया को शराब सम्मुट करके गज पुट मे फ़ूक देते हैं  ८ पुट देने से स्वर्ण माक्षिक भस्म तैयार हो जाती है ।
गुण कर्म---   मधुर, तिक्त कषाय, कटु विपाक, शीतवीर्य, योगवाही, त्रिदोष हर,, पाण्डु नाशक, जरा नाशक, वृष्य, लघु, रसायन. 
  1. Swarn Makshika is beneficial in
    anemia.
    -This is also found to be beneficial
    in jaundice.
    -Swarn Makshika is also found to
    be beneficial in Kapha and Pitta
    Roga’s.
    -This is brings about increase in
    red blood cell count.
  2.  it was primarily
    priscribed in low TLC,
    so,
    along wid
    s-makshika chuna plz add,
    Praval panchamrit,
    kalmegha navyas rasa,
    and amritarista.
  3. .also add in combinations of bleeding piles treatment & rakta pitta..very effective.
  4.  MY Clinical experience with Swarnamakshika bhasma:
    It is a valuable medicine in treating Pancreatitis.
    I cured some cases of sub acute pancreatitis with the following combination
    Swarnamakshika bhasma 15grms+Pravala pisti 15 grams+30 grams +Amla churna 30 grams +Guduchi satwa30 grams
    1.5 grams twice daily before food with cow ghee.

Sunday, November 20, 2011

आँवाला , आमलकी के गुण ,Amla Health Benefits

In Sankrit, "Amalaki" means that which is full of rejuvenating properties. Amla is effective against cough, diabetes, gray hair, cough, anemia, cholesterol and high blood pressure. Amla is a key ingredient in the popular Ayurvedic preparations, Triphala and Chyavanaprash.


Amla Origin
The Amla or Indian gooseberry tree is a small or medium sized deciduous tree. The tree bears pale green flowers, fleshy round fruits that are pale green to yellowish in colour. The fruit has a hard seed in the center. The tree is indigenous to India and used in many Middle Eastern and Indian medicines.

Amla Medicinal Properties
The Indian Gooseberry or Amla is a natural antioxidant with the richest source of Vitamin C, it contains 20 times the amount of vitamin C found in oranges. It also contains calcium, phosphorus, iron, carotene, amino acids, tannin, phosphorus, polyphenolic compounds, fixed oil, lipids and other essential oils. The Amla root bark is an astringent. The fruits are sour, astringent, cooling, ophthalmic, carminative, digestive, laxative, aphrodisiac, diuretic and antipyretic in nature.

Amla Home Remedies
It is used to treat the following conditions:

Amla Stabilizes Blood Sugar
One teaspoon of Amla juice mixed with a cup of bitter gourd juice is prescribed by naturopaths as it stimulates the Pancreas and it will secrete enough insulin for reducing blood sugar. Amla seeds or dried amla powder in the form of capsules is equally invaluable for the control of Diabetes. 

Natural Cholesterol Remedy
In laboratory studies, amla has been proven to effective for high cholesterol and prevention of atherosclerosis. It strengthens the heart muscles and causes a significant decrease in total cholesterol, LDL cholesterol, VLDL cholesterol and triglycerides. A 500 mg capsule of dried Amla powder can be added to your daily routine after consulting with your doctor. 

Amla Treats Hypertension
Amla is rich in vitamin C and helps control blood pressure. You can have it as amla choorna (powder) or in the form of triphala tablets or decoction. Triphala, a combination of amla and two other herbs is an excellent medication for high blood pressure.

Natural Cure For Anaemia
Amla is rich in Vitamin C or ascorbic acid, an essential ingredient that helps in the absorption of Iron. Supplements of Amla can be very beneficial to patients suffering from Iron deficiency Anaemia.

Amla Is Anti-Ageing
Amla has revitalizing effect on the body as it contains several nutrients and helps in preserving the stamina in aged people. It strengthens the heart, hair and different glands in the body. It improves the body's immunity to resist infection and diseases.

Herbal Cough Remedy
Add a tsp of Amla juice or powder to a glass of warm milk and drink this thrice a day. This will clear an unpleasant throat, adding some ghee to this decoction will clear a cough. Mix amla powder with honey and suck this mixture twice a day to cure a chronic dry cough. Amla is invaluable in the treatment of tuberculosis, asthma and bronchitis.

Amla Treats Diarrhea And Dysentry
Amla has a strong, cooling property on the body and is an excellent remedy for diarrhea. Squeeze the juice out of a handful of Amla leaves into a glass of milk. Add some honey and ghee to this milk and drink it to stop loose motions that are accompanied with mucous and/or blood.

A Natural Eye Tonic
Fresh Amla juice or dried Amla capsules are a good supplement to improve nearsightedness, cataract and glaucoma. It reduces intra ocular tension and corrects the vision.

Amla Promotes Hair Growth
Dried amla fruits are boiled in coconut oil and then ground to form amla oil. This is a very effective conditioner and prevents balding and graying of hair. For oily hair, mix half a cup of Amla juice, half a cup of lime juice and some water. Apply this to make an anti-grease hair wash.

A Pitta Pacifier
Gooseberries are boiled in coconut water and the ground mixture is applied to the scalp. Amla oil is an excellent way to reduce heat associated with summer season. It is a good remedy to pacify pitta conditions.

Amla Treats White Spots On The Nails
Gooseberry is an excellent source of Vitamin C and so serves as an effective remedy in vitamin deficit condition. Add Amla juice/powder in your diet to overcome this condition.

Remedy For Menstrual Disorders
White discharge can be relieved with powdered and dried Amla Seeds. Make a mixture of this with honey and saunf or mix it with squished banana and consume it.

Monday, October 10, 2011

हार्ट अटैक से बचने के दस उपाय,कार्य क्षमता बढ़ाने व कोलॅस्ट्रोल घटाने का अचूक आयुर्वेदिक नुस्खा

हार्ट अटैक से बचने के दस उपाय
दस उपायों को अपनाकर हृदय की बीमारियों को रोका जा सकता है-
1. अपने कोलेस्ट्रोल स्तर को 130 एमजी/ डीएल तक रखिए- कोलेस्ट्रोल के मुख्य स्रोत जीव उत्पाद हैं, जिनसे जितना अधिक हो, बचने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आपके यकृत यानी लीवर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल का निर्माण हो रहा हो तब आपको कोलेस्ट्रोल घटाने वाली दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है।
2. अपना सारा भोजन बगैर तेल के बनाएं हो सके तो ओलिव आयल ( जेतून का तेल) का पर्योग करें लेकिन मसाले का प्रयोग बंद नहीं करें- मसाले हमें भोजन का स्वाद देते हैं न कि तेल का। हमारे 'जीरो ऑयल' भोजन निर्माण विधि का प्रयोग करें और हजारों हजार जीरो ऑयल भोजन स्वाद के साथ समझौता किए बगैर तैयार करें। तेल ट्रिगलिराइड्स होते हैं और रक्त स्तर 130 एमजी/ डीएल के नीचे रखा जाना चाहिए।

3. अपने तनावों को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करें- इससे आपको हृदय रोग को रोकने में मदद मिलेगी, क्योंकि मनोवैज्ञानिक तनाव हृदय की बीमारियों की मुख्य वजह है। इससे आपको बेहतर जीवन स्तर बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।

4. हमेशा ही रक्त दबाव को 120/80 एमएमएचजी के आसपास रखें- बढ़ा हुआ रक्त दबाव विशेष रूप से 130/ 90 से ऊपर आपके ब्लोकेज (अवरोध) को दुगनी रफ्तार से बढ़ाएगा। तनाव में कमी, ध्यान, नमक में कमी तथा यहाँ तक कि हल्की दवाएँ लेकर भी रक्त दबाव को कम करना चाहिए।

5. अपने वजन को सामान्य रखें- आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 से नीचे रहना चाहिए। इसकी गणना आप अपने किलोग्राम वजन को मीटर में अपने कद के स्क्वेयर के साथ घटाकर कर सकते हैं। तेल नहीं खाकर एवं निम्न रेशे वाले अनाजों तथा उच्च किस्म के सलादों के सेवन द्वारा आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं।

6.नियमित रूप से आधे घंटे तक टहलना जरूरी- टहलने की रफ्तार इतनी होनी चाहिए, जिससे सीने में दर्द नहीं हो और हाँफें भी नहीं। यह आपके अच्छे कोलेस्ट्रोल यानी एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकता है।

7. 15 मिनट तक ध्यान और हल्के योग व्यायाम रोज करें- यह आपके तनाव तथा रक्त दबाव को कम करेगा। आपको सक्रिय रखेगा और आपके हृदय रोग को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा।

8. भोजन में लहसुन का पर्योग करें लहसुन शरीर में अच्छे कैलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स- भोजन में अधिक सलाद, सब्जियों तथा फलों का प्रयोग करें । ये आपके भोजन में रेशे और एंटी ऑक्सीडेंट्स के स्रोत हैं और एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

9. अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं तो शकर को नियंत्रित रखें- आपका फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए और खाने के दो घंटे बाद उसे 140 एमजी/ डीएल से नीचे होना चाहिए। व्यायाम, वजन में कमी, भोजन में अधिक रेशा लेकर तथा मीठे भोज्य पदार्थों से बचते हुए मधुमेह को खतरनाक न बनने दें। अगर आवश्यक हो तो हल्की दवाओं के सेवन से फायदा पहुँच सकता है।

10. हार्ट अटैक से पूरी तरह बचाव- हार्ट अटैक से बचने का सबसे आसान संदेश है और हार्ट में अधिक रुकावटें न होने दें। यदि आप इन्हें घटा सकते हैं, तो हार्ट अटैक कभी नहीं होगा।



कार्य क्षमता बढ़ाने व कोलॅस्ट्रोल घटाने का अचूक आयुर्वेदिक नुस्खा

अपनी कार्य क्षमता बढ़ा कर सफल होने, स्फूर्ति वान होने व चर्बी घटा कर तन्दरूस्त होने का यह आजमाया हुआ नुस्खा है। अनेक लोगों ने इसका प्रयोग कर सफलता पाई है। नुस्खा निम्न प्रकार है:
मिश्रण: 50 ग्राम मेथी$ 20 ग्राम अजवाइन$10 ग्राम काली जीरीबनाने की विधिः- मेथी, अजवाइन तथा काली जीरी को इस मात्रा में खरीद कर साफ कर लें। तत्पश्चात् प्रत्येक वस्तु को धीमी आंच में तवे के उपर हल्का सेकें। सेकने के बाद प्रत्येक को मिक्सर-ग्राइंडर मंे पीसकर पाउडर बनालें। तीनों के पाउडर को मिला कर आपकी अमूल्य दवाई तैयार है।
दवाई लेने की विधिः- तैयार दवाई को रात्रि को खाना खाने के बाद सोते समय 1 चम्मच गर्म पानी के साथ लेवें। याद रखें इसे गर्म पानी के साथ ही लेना है। इस दवाई को रोज लेने से शरीर के किसी भी कोने मंे अनावश्यक चर्बी/ गंदा मैल मल मुत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है, तथा शरीर सुन्दर स्वरूपमान बन जाता है। मरीज को दवाई 30 दिन से 90 दिन तक लेनी होगी।
लाभः- इस दवाई को लेने से न केवल शरीर मंे अनावश्यक चर्बी दूर हो जाती है बल्किः-
शरीर में रक्त का परिसंचरण तीव्र होता है। ह्नदय रोग से बचाव होता है तथा कोलेस्ट्रोल घटता है।
पुरानी कब्जी से होेने वाले रोग दूर होते है। पाचन शक्ति बढ़ती है।
गठिया वादी हमेशा के लिए समाप्त होती है।
दांत मजबूत बनते है। हडिंया मजबूत होगी।
आॅख का तेज बढ़ता है कानों से सम्बन्धित रोग व बहरापन दूर होता है।
शरीर में अनावश्यक कफ नहीं बनता है।
कार्य क्षमता बढ़ती है, शरीर स्फूर्तिवान बनता है। घोड़े के समान तीव्र चाल बनती है।
चर्म रोग दूर होते है, शरीर की त्वचा की सलवटें दूर होती है, टमाटर जैसी लालिमा लिये शरीर क्रांति-ओज मय बनता है।
स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा कदम आयु भी बढ़ती है, यौवन चिरकाल तक बना रहता है।
पहले ली गई एलोपेथिक दवाईयां के साइड इफेक्ट को कम करती है।
इस दवा को लेने से शुगर (डायबिटिज) नियंत्रित रहती है।
बालों की वृद्धि तेजी से होती है।
शरीर सुडौल, रोग मुक्त बनता है।
योग करने से दवाई का जल्दी लाभ होता है।
परहेजः- 1. इस दवाई को लेने के बाद रात्रि मंे कोई दूसरी खाद्य-सामग्री नहीं खाएं।
2. यदि कोई व्यक्ति धुम्रपान करता है, तम्बाकू-गुटखा खाता या मांसाहार करता है तो उसे यह चीजे छोड़ने पर ही दवा फायदा पहुचाएंगी।
3. शाम का भोजन करने के कम-से-कम दो घण्टे बाद दवाई लें