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Wednesday, May 26, 2010

Barleria prionitis, सहचर, सैरेयक, पियाबाँसा


यह एक बहुवर्षायु कंटकित क्षुप होता है जो कि उष्ण स्थानो पर प्रायश: शुष्क भुमि पर मिलता है । पत्ते बिल्कुल बासे के तरह के होते है , पुष्प पीले रंग के मंजरियो मे आते है , इसके काण्ड पर काँटे होते है ।
आधुनिक द्रव्यगुण मे इसको कुष्ठ्घ्न कहा गया है । इसके द्वारा सिद्ध सहचरादि तैल वैद्यों मे बहुत प्रसिद्ध है जो कि वात नाशक होता है ।
आयुर्वेदिक गुण कर्म-
लघु, स्निग्ध, तिक्त मधुर ,, कटु, वीर्य - उष्ण

कफ़वातशामक, वेदनास्थापन, व्रणरोपण, व्रण शोधन, केश्य, विषनाशक. प्रदररोगनाशक.

प्रयोग---

विभिन्न वात रोगों मे इससे सिद्ध तैल का प्रयोग बस्ति और अभ्यंग मे किया जाता है ।
प्रदर रोग मे इसका रस देसी खाण्ड मे मिलाकर दिया जाता है।
पत्तों के कल्क को विभिन्न त्वक विकारों मे प्रलेप किया जाता है ।

प्रसिद्ध योग-- सहचरादि तैल

चित्र प्राप्ति स्थान-- करनाल, हरियाणा

2 comments:

Satish Chandra Satyarthi said...

काफी ज्ञानवर्द्धक ब्लॉग...
शुभकामनाएं...

Unknown said...

Very useful