Cichorium intybus,कासनी Endive
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उत्तर भारत मे शीतकाल मे यह पौधा पैदा होता है । इसके पुष्प नीले रंग के आते है गर्मियो पुष्प और बीज आने के बाद यह सूख जाती है ।
प्रयोज्य अंग-- बीज, पत्र, मूल
मात्रा- पत्रस्वरस- १० से २० मि. लि. , बीज चुर्ण- ३- ५ ग्रा. मूल चुर्ण- ३-५ ग्रा.
उत्तम लिवर टोनिक, हृदय को बल देने वाली, कफ़पित्त शामक, मूत्रजनन, रक्तशोधक, आमाशय को बल देने वाली
युनानी चिकित्सा मे यह मह्त्वपूर्ण औषधि है ।
गुण- लघु, रुक्ष. रस-- तिक्त. विपाक- कटु, वीर्य- उष्ण
मुख्य प्रयोग--
नेत्रज्योति प्रकाशनि, शीतल, दाह, पित्त, ज्वर, कामला( पीलिया) , रक्तविकार , कृशता (शरीर का पतलापन) इन रोगो मे यह बहुत ही उपयोगी है ।
दिल की धड़कन के बड़ने पर इसके बीजो का शीत कषाय पीने से तुरंत लाभ मिलता है ]
मुख्य योग-- अर्क कासनी( हमदर्द)
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