उत्तर भारत मे लगभग हर जगह मिल जाता है , इसका छोटा क्षुप लगभग ३ से ४ फ़ुट तक बड़ जाता है । पीले रंग के फ़ुल अप्रैल और मई मे आते है ,बीज लम्बी फ़लियों मे आते है ।
कफ़वातशामक, पित्तसारक, कासश्वास हर, कुष्ठहर, वातानुलोमक, रेचन
रुक्ष, लघु, तीक्ष्ण, तिक्त , मधुर कटु, उष्ण
- कास श्वास मे इसके पत्तों के रस का प्रयोग किया जाता है,
- पित्त के निर्हरण के लिये इसके पत्तों का शाक खिलाया जाता है ।
- इसके बीजों के चुर्ण का प्रयोग विभिन्न त्वचा रोगों मे लेप के रुप मे किया जाता है।
- कण्ठ शोधन के लिये इसकी मूल कॊ मुह मे धारण किया जाता है ।
- कासमर्द बीज चुर्ण, पत्रस्वरस और गंधक का लेप सिध्म(ptrisys versicolor रोग मे प्रय़ोग किया जाता है
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