घीकुवांर मुख्य रुप से कफ़ पित्त शामक होताहै । यह शीत, स्निग्ध, पिच्छिल, गुरु, रस मे कटु, विपाक मे मे भी कटु, और वीर्य शीत होता है , इसके रस के घन को एलुआ य मुस्स्ब्बर कहते है और यह ऊष्ण होता है ।
आधुनिक औषधि वर्गीकरण मे इसे पित्तविरेचन वर्ग मे रक्खा गया है । इसकी मुख्य क्रिया वृहदाआन्त्र पर होती है जिससे इसकी पेशीयों का प्रबल संकोच होकर इसकी पेरीस्टालिक मुमैंट बढ जाती है । इस तरह से यह कब्ज मे मुख्य रुप से काम करता है ।
कुल मिलाकर यह अपान वायु पर कार्य करता है
आचार्य भावमिश्र ने इसके ये गुण , दोषकर्म बताएं है ----भेदनी -- यानि रुके हुए मल का भेदन करने वाली
२ शीत
३. तिक्त
४ नेत्रॊं के लिये हितकर
५. रसायन ( बुढापे को रोकने वाली और व्याधिक्षम्त्व बढाने वाली)
६बृंहणीय ( शरीर को मोटा करने वाली)
वृष्य, बल्य, वातशामक, विषनाशक, गुल्म ( बाय का गोला), प्लीहारोग, यकृत विकार, कफ़रोग नाशक, ज्वरहर, ग्रन्थि नाशक( टुमर, सीस्ट,) नाशक, जले हुए मे लाभकारी, त्वचा के लिये हितकर,पैतिक और रक्त्ज रोगों का नाशक।
इसका घन यानि एलुआ मुख्य रुप से आर्तवजनन होता है ।
अब सवाल आता है कि इसका प्रयोग कैसे करे या किस रुप मे करे? आपके पास दो विक्ल्प है , एक एलोव वेरा जूस और अन्य आयुर्वेदिक शास्त्रिय योग जैसे कि कुमार्यासव । आईए इनका तुलनात्मक अध्ययन करके देखेते है ।
एलोव वेरा जूस मे सिर्फ़ एक घटक यानि ग्वारपाठा होता है , जिसमे कम्पनिया इसको सुरक्षित रखने के लिये विभिन्न प्रकार के प्रिजर्वेटिव केमिकल डालती है जैसे की - सिट्रीक एसिड , सोडियम बेन्जोएट, आदि आदि,।
अब ऋषिमुनियों द्वारा वर्णित योग यानि कुमार्यासव का अध्ययन करते है ---
मुख्य द्रव्य- ग्वारपाठे का रस
२ शहद, ३, लोह्भस्म,४,पुरानागुड,
मुख्य प्रेक्षप द्रव्य---
हल्दी, अकरकरा, त्रिफ़ला, त्रिकटु, नागकेशर, पिप्प्लीमूल, मुलेठी, पुष्करमूल, गोखरु,केवांच के बीज, उटंगन के बीज, पुनर्नवा, लोंग, इलायची, देवदारु आदि( शा० सं०)
कल्पना-- सन्धान कल्पना ( कुदरती एल्कोहाल )
जैसा कि पहले बताया है मुख्य रुप से ग्वारपाठा कफ़पित्त शामक होताहै यानि यदि लगातार इस को अकेले हि प्रयोग करते है तो यह शरीर मे दोषों को असाम्य कर सकता है । एलोव वेरा जुस मे केमिकल भी होते है यह भी सोचीये ..........?
लेकिन कुमार्यासव मे कोई केमिकल नही होता और न ही सिर्फ़ एक ही द्रव्य , ग्वार पाठे के विपरित प्रभाव को दुर करने के लिये इसमे अन्य द्रव्य बहुत है ।
अत: मेरे विचार मे एलोव वेरा जुस की आपेक्षा कुमार्यासव लेना हितकर है ।
आस्था आयुर्वेद , असंध (हरियाणा)| पुराने रोग एवं बन्ध्यत्व निवारण केन्द्र |
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1 comment:
आपकॊ यह जानकारी कैसी लगी कृपया जरुर बताएँ
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