Asteracantha longifolia , कोकिलाक्ष, तालमाखना
इसका वर्षायु क्षुप होता है , जो तालाबों और नहरो के किनारो पर मिलता है , तने की गाँठो पर काँटे होते है. पत्ते लम्बे होते है और गाँठो पर गुच्छे मे आते है ।
आयुर्वेद्कि गुण- गुरु, स्निग्ध, पिच्छिल, रस- मधुर, विपाक- मधुर, वीर्य- शीत, वातपित्त शामक
प्रयोज्यांग- मूल, पाँचांग, क्षार, बीज चुर्ण
दोषकर्म- शीतल, मूत्रजनन, शुक्रशोधन, स्तय्न्यजनन, संतर्पण, यकृतशोथ नाशक, बल्य, एवं वृष्य ।
धातुपौष्टिक चुर्ण मे यह एक घटक के रूप मे होता है ।
मै अपनी आयुर्वेदशाल मे इसको निम्नलिखत रोगों मे प्रयोग करता हुँ--
- पित्त की थैली की पथरी(Cholecystitis) मे यह बहुत ही उपयोगी है , क्वाथ का प्रयोग करें ।
- वातरक्त(Gout) और शोथ युक्त वातरक्त मे
- अश्मरी मे क्षार का प्रयोग
- वाजीकरण के लिये केंवाच बीज चुर्ण समान मात्रा मे कोकिलाक्ष बीज चुर्ण के साथ
- उत्तम गर्भाशय शामक (uterine sedative ) |
Comments
It contains a fixed oil, gum, albumen, etc.; acts as a stimulant, carminative, diuretic and tonic and is useful in nervous debility, atonic dyspespia and sexual disorders. Mucilage made from root & leaves is useful in urinary discharges, painful micturition and as an aphrodisiac (Acta Phytomer, 1971, 18, 134). It acts as a tonic, diuretic, demulcent and nutritive. Acts as a tonic, diuretic, demulcent, nutritive and is useful in the management of impotence and spermatorrhoea. (Econ.Bot, 1965, 19, 244)