Friday, March 26, 2010

Withinia sominifera अश्वगन्धा


अश्वगंधा एक बहुवर्षायु क्षुप होता है जो पश्चिमोत्तर भारत, महाराष्ट्र, मुजरात, मध्यपर्देश आदि मे मिलता है । देश भेद से यह पाँच प्रकार का होता है । मध्य प्रदेश के मन्दोसर जिले मे इसकी भरपुर खेती की जाती है ।

अश्वगन्धा के गुण और कर्म--

गुण- लघु स्निग्ध

रस- तिक्त, कटु, मधुर

विपाक- मधुर

वीर्य-- ऊष्ण

प्रयोज्य अंग-- मूल चुर्ण

मात्रा- ३-६ ग्रा.


मुख्य प्रयोग-





  1. सुजन मे इसके पत्तों को एरण्ड तैल मे गरम करके प्रभावित स्थान पर रख देते है , जिससे सुजन मे कमी आती है ।


  2. गिल्टी और स्थानिक सुजन मे इसकी मूल को पानी मे घीस कर लेप लगाने से वो ठीक हो जाती है


  3. चोपचीनी और अश्वगंधा के चुर्ण को समान भाग मिलाकर कोष्ण जल के साथ लेने से यह आमवात और पी आई डी मे बहुत ही चमत्कारी असर दिखाता है ।


  4. मानसिक शांति और अधिक रक्तचाप मे इसका प्रयोग किया जाता है इसके लिये अश्वगंधारिष्ट या अश्वगंधा लेह बहुत ही अच्छे योग है


  5. मुत्राघात ( पेशाब की रुकावट) मे यह बहुत ही उपयोगी है ।


  6. बालशोष मे यह विशेष उपयोगी है


  7. स्त्रियों की गर्भाशय संबंधि व्याधियों मे यह अतीव उपयोगी है ।

3 comments:

naresh singh said...

आप इसका एक गुण बताना तो भूल ही गए, की यह वाजी कारक भी है | इसका निरंतर उपयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वर्द्धी करता है | आपके बलोग पर पहली बार आना हुआ है | बहुत ही सुन्दर बलोग है | हर सप्ताह कम से कम एक पोस्ट जरूर लिखे | इस विषय पर हिन्दी में बहुत कम लिखा गया है | धन्यवाद ||

संगीता पुरी said...

इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

Anonymous said...

welcome, valuable information

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