Pages

Monday, April 19, 2010

Achyranthes aspera, अपामार्ग, लटजीरा,Prickly chaff flower


उत्तरभारत लगभग हर जगह मिल जाता है । बहुवर्षायु क्षुप, छोटे बीजों (कंटक युक्त) की मंजरी युक्त , इसके बीज यदि कपड़ों से स्पर्श हो जाते है तो चिपक जाते हैं ।


लघु, रुक्ष, तीक्ष्ण,

कटु, तिक्त

कटु विपाक एवं उष्ण वीर्य

उत्तम लीवर टोनिक, शोथहर, वेदना शामक, कृमिहर, शिरोविरेचन, हृदयरोग नाशक, रक्तज अर्श नाशक,

अपामार्ग के बीजो के नस्य लेने से छींके आती है और पुराना नजला और गर्दन के उपर के रोगों मे लाभ मिलता है

बीजों के कल्क को चावल के धावन से लेने पर रक्तज अर्श मे लाभ करता है
पांचांग का क्वाथ लिवर और उदर रोगों मे बहुत ही फ़ायदा करता है

इसका क्षार बेहतर कफ़ निस्सारक है , और विभिन्न कल्पनाओं मे प्रयोग किया जाता है , क्षारसुत्र मे भी इसका प्रयोग किया जाता है ।

कास श्वास मे इसका क्षार प्रयोग किया जाता है ।
धवल कुष्ठ निवारणार्थ इसके क्षार को मैनशिल और गोमुत्र मे पीसकर लेप कियाजाता है ।
इसकी मूल को गुलाब जल या शहद मे पीसकर आंखो मे लगाने से कृष्ण पटल के रोगों मे लाभ मिलता है


No comments: