Solanum surratence,Yellow Berried Night shade ,कंटकारी,छोटी कटेरी


इसका फ़ैलने वाला , बहुवर्षायु क्षुप होता है ,पत्ते लम्बे काँटो से युक्त हरे होते है , पुष्प नीले रंग के होते है , फ़ल क्च्चे हरित वर्ण के और पकने पर पीले रंग के हो जाते है , बीज छोटे और चिकने होते है ।

यह पश्चिमोत्तर भारत मे शुष्कप्राय स्थानों पर होती है ।

आयुर्वेदिक गुण कर्म--
गुण-- लघु, रुक्ष, तीक्ष्ण

रस-- तिक्त, कटु

विपाक-- कटु

वीर्य-- ऊष्ण

कफ़वात शामक, कासहर, शोथहर, रक्तशोधक, बीज शुक्रशोधन, हृदयरोगनाशक, वातशामक,रक्तभारशामक( Lowers the Blood pressure) ।

मै अपनी आयुर्वेदशाल मे इसको निम्नलिखित रोगों मे प्रयोग करता हूँ --
  • विभिन्न त्वचा रोगों मे पंचतिक्त घृत के रूप मे
  • विस्फ़ोट(Boils) पर इसके बीजों का लेप किया जाता है
  • श्वास व कास रोगों मे , जहाँ कफ़ गाड़ा और पीलापन लिये हुए होता है
कंटकारी के प्रचलित योग -- व्याघ्रीहरितकी, कण्टकारी घृत, व्याघ्री तैल, पंचतिक्तघृत, निदिग्धिकादि क्वाथ ।

Comments

आप का ब्लॉग उपयोगी है। फॉलोवर बन रहा हूँ। शुरू में भारत की वनस्पतियों पर लिखने की साध थी, लिखा भी लेकिन अब नहीं सपरता। आप को पढ़ते रहेंगे तो संतुष्ट रहेंगे।
Dr. D. P Rana said…
धन्यवाद गिरिजेश राव जी , आप मेरे ब्लोग पर पधारे यही मेरे लिये बहुत है , मेरे लेख आपको पसंद आते है , इसके लिये तहे दिल से आपका आभार

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