इसका बहुवर्षायु क्षु्प हो्ता है , इसकी कई प्रजातियाँ होती है । पत्ते लट्वाकार और दन्तुर होते है , पु्ष्प--पत्रकोणो से उत्त्पन पीले रंग के होते है ।बीज छोटे भूरे या काले रंग के होते है । इसके बीजों को बीजबन्द के नाम से जाना जाता है।
चित्र प्राप्ति स्थान -- करनाल (हरियाणा)
आयुर्वेदिक गुण---
गुण-- लघु,स्निग्ध,पिच्छिल
रस-- मधुर
विपाक-- मधुर
वीर्य-- शीत
बल्य, गर्भप्रद, वातशामक, शो्थनाशक, हृदयरोगनाशक, शुक्रवर्धक,ओजोवर्धक ।
मै अपनी आयुर्वेदशाला मे इसको निम्नलिखित रोगों मे प्रयोग करता हूँ-
- क्षयरोग व आजो वर्धन के लिये
- स्त्रियों के बाँझपन के लिये
- पुरुषों मे शुक्रहीनता के लिये
प्रयोज्यांग-- स्वरस व मूल चुर्ण
बलारिष्ट मे यह मुख्य घटक के रुप मे होती है ।
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