Thursday, April 1, 2010

Calotropis procera , Madar, आक, अर्क, आखा


यह बहुवर्षायु गुल्म या क्षुप होता है जो कि शुष्क और सुखी जमीन पर अधिक पाया जाता है , पश्चिमोत्तर भारत मे यह बहुत मिलता है , इसकी मुख्यतया दो प्रजाति होती है , एक लाल फ़ुलो वाला और एक सफ़ेद फ़ुलो वाला , यहाँ पर लाल फ़ूल वाले अर्क का वर्णन किया गया है । बसंत मे गुच्छो मे फ़ूल लगते है जो कि सफ़े या कुछ लाल रंग के होते है और गर्मियों मे फ़ल आने पर रुई के समान इस मे से रेशे निकलते है ।

आयुर्वेदिक गुण--
गुण-- लघु , रुक्ष , तीक्ष्ण
रस-- कटु, तिक्त
विपाक-- कटु
वीर्य-- उष्ण

कफ़वातशामक, शोधनीय, वमनोपग,विरेचन,

मै अपनी आयुर्वेदशाला मे इस का निम्नलिखित रोगोंमे व्यवाहर करता हुँ==

  1. विभिन्न उदररोगों मे अर्क लवण का प्रयोग
  2. कर्ण पीड़ा मे ताजे पीले पतों के स्वरस को कुछ गरम करके , कान मे डालने से तुरंत लाभ होता है
  3. कठिन , रुक्ष , मोटे, पाकरहित , दद्रु रोग, आदि त्वचा रोगों मे जिसमे पाक न होता है , इसके मूल की त्वचा का लेप या इसका दुध लाभदायक होता है
  4. माईग्रेन (Migraine ) की यह विशेष औषधि है
  5. भगन्दर कि चिकित्सा मे प्रयुक्त क्षारसूत्र को इसके दुध से भावित करके बनाया जाता है ।
  6. विष दुर करने के लिये इसकी मूल के चुर्ण का प्रयोग किया जाता है , इससे वमन और विरेचन दोनो एकदम हो जाते है और काया विष रहित हो जाती है
  7. शोशयुक्त जोडो़ के दर्द मे और आमवात इसके पत्तो को गरम करके बांधने से लाभ मिलता है
  8. श्वास रोग मे इसको फ़ुलो को शुण्ठि और वासा मुलचुर्ण के साथ कोष्ण जल से लेने से फ़ायादा होता है ।

4 comments:

Dr. D. P Rana said...

कृपया इस पौधे के बारे मे अपने विचार भी प्रकट करें । धन्यवाद

EJAZ AHMAD IDREESI said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Amitraghat said...

अच्छी जानकारी ! यकीनन आक का पौधा बेहद गुणकारी होता है..."

Anonymous said...

bahut hi acchi janakari de rahe ho aap . badhai

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