आधुनिक द्रव्य औषधि विग्यान मे इस को रक्तार्बुद नाशक गण मे रखा गया है । इसका छोटा क्षुप होता है जो कि लगभग हर घर मे मिलजाता है , इसकी दो तरह की प्रजाति होती है एक गुलाबी रंग के फ़ुलों की और दुसरी सफ़ेद रंग के फ़ुलो की । भारत मे लगभग हर जगह यह बागों मे गमलो मे घरॊ मे लगाया हुआ मिल जाता है ।
आयुर्वेदिक गुण----
गुण---लघु रुक्ष, तीक्ष्ण
रस-- कषाय, कटु
विपाक-- कटु
वीर्य-- उष्ण
रक्तार्बुदनाशक, प्रमेहनाशक, कफ़वात शामक,
चित्र प्राप्ति स्थान-- करनाल (हरियाणा)
मै अपनी आयुर्वेदशाला मे इसको निम्नलिखित रोगों मे प्रयोग करता हूँ--
- सफ़ेद फ़ुलों वाली प्रजाति के पत्रो के कल्क का का प्रयोग मधुमेह मे किया जाता है ।
- रक्तार्बुद मे इसके मूल चुर्ण का प्रयोग किया जाता है
- रक्तभाराधिकय मे इसके पांचांग के चुर्ण लाभदायक होता है ।
प्रयोज्यांग-- पत्र, मूल, पांचांग
2 comments:
जानकारीपरक पोस्ट
स्वागत है।
लेकिन मुझे लगता है कि भारत को 'इन्फर्टिलिटिटी क्लिनिकों' से अधिक ऐसे क्लिनिकों की आवश्यकता है जिनमें लोगों की 'फर्टिलिटी' को कम किया जा सके या पूर्णत: नष्ट किया जा सके।
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